| घटना | वर्ष |
|---|---|
| जन्म | 1869 |
| एक बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड को प्रस्थान | 1888 |
| बैरिस्टर बनने के बाद भारत लौटने के लिए इंग्लैंड से प्रस्थान | 1891 |
| दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हुए | 1893 |
| दक्षिण अफ्रीका में फीनिक्स फार्म की स्थापना | 1904 |
| दक्षिण अफ्रीका से भारत आए | 1915 |
| साबरमती आश्रम स्थापित | 1915 |
| चंपारण में इंडिगो श्रमिकों के लिए आंदोलन (यह घटना गांधी जी की राजनीति में प्रविष्टि के रूप में चिह्नित) | 1917 |
| गैर सहयोग आंदोलन शुरू किया | 1920 |
| चौरी चौरा की घटना के कारण गैर सहयोग आंदोलन वापस लिया | 1922 |
| नमक पर कर कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, दांडी मार्च आयोजित | 1930 |
| द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया | 1931 |
| सेवाग्राम, वर्धा के निकट एक गांव में बस गए | 1936 |
| अंग्रेजों को भारत छोडो आंदोलन का आयोजन | 1942 |
| नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या | 1948 |
| तिथि | अनशन का कारण |
|---|---|
| 1918, 15-17 मार्च | अहमदाबाद मिल मजदूरों की कम मजदूरी के विरोध में अनशन |
| 1919, 13-15 अप्रैल | जलियाँवाला बाग नरसंहार के लिए प्रायश्चित के रूप में अनशन । यह अनशन नरसंहार के परिणाम स्वरूप मुंबई, अहमदाबाद और अन्य स्थानों में हुए दंगों के लिए प्रायश्चित भी था । |
| 1922, 12-16 फ़रवरी | चौरी चौरा नरसंहार के लिए प्रायश्चित के रूप मे अनशन । |
| 1932, 20-25 सितम्बर | रामसे मैकडोनाल्ड के सांप्रदायिक निर्णय के खिलाफ |
| 1943, 10-28 फ़रवरी | भारत छोड़ो आंदोलन के बाद देश मे हुई गड़बड़ी के लिए कांग्रेस पार्टी को दोषी करार देने के सरकार के प्रयास के विरोध में उपवास |
| 1948, 13-17 जनवरी | सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और प्रायश्चित करने के लिए |
| मैं तुम्हें एक ताबीज देता हूँ। जब भी दुविधा में हो या जब अपना स्वार्थ तुम पर हावी हो जाए, तो इसका प्रयोग करो। उस सबसे गरीब और दुर्बल व्यीक्ति का चेहरा याद करो जिसे तुमने कभी देखा हो, और अपने आप से पूछो- जो कदम मैं उठाने जा रहा हूँ, वह क्या उस गरीब के कोई काम आएगा? क्या उसे इस कदम से कोई लाभ होगा? क्या इससे उसे अपने जीवन और अपनी नियति पर कोई काबू फिर मिलेगा? दूसरे शब्दों में, क्या यह कदम लाखों भूखों और आध्याीत्मिक दरिद्रों को स्वरराज देगा? तब तुम पाओगे कि तुम्हारी सारी शंकाएं और स्वार्थ पिघल कर खत्म हो गए हैं । |
| सात सामाजिक पाप - 1. सिद्धांत के बिना राजनीति 2. अंतरात्मा के बिना आनंद 3. परिश्रम के बिना सम्पत्ति 4. चरित्र के बिना ज्ञान 5. नैतिकता के बिना वाणिज्य 6. मानवता के बिना विज्ञान 7. त्याग के बिना पूजा. |
| पहले वे आपकी उपेक्षा करते हैं, फिर खिल्ली उड़ाते हैं, उसके बाद आपका विरोध करते हैं, फिर आप जीत जाते हैं । |
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